Thursday, April 25, 2019

साक्षात्कार


आज अचानक से वह सामने आ गया। चेहरा कुछ जाना-पहचाना सा लग रहा था। बस एक झलक नज़र आई, मैं ठिठका, उसे देखने के लिए रुका, याद नहीं आ रहा था कौन है। वह भी मुझे ऐसे ही निहार रहा था, जैसे उसका कुछ खोया हो। एक-दूसरे को पहचानने की कोशिश करते हुए हमारी आँखें टकराईं। ऐसा लग रहा था कि कभी उन आंखों में सूरज-सी चमक रही होगी, किंतु आज उनमें कुछ मायूसी नज़र आ रही थी।

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